Badminton : भारत का पूना गेम कैसे बन गया आज का बैडमिंटन?

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कभी सोचा है कि बैडमिंटन (Badminton) जैसा एलीगेंट खेल भारत की धरती से निकला होगा? जी हां! और इसका पहला नाम था - पूना (Poona Game)। uplive24.com के साथ चलिए एक छोटी-सी यात्रा पर, जहां हम जानेंगे कि कैसे यह भारतीय खेल पूना से बन गया बैडमिंटन।

बैडमिंटन (Badminton) आज जिस रूप में हमारे सामने है, वहां तक पहुंचने के लिए उसने लंबी यात्रा की है। कई सदियों से गुजरा, कई समुद्र लांघे, भाषाओं की दीवार को तोड़ा। 

इस खेल की जड़ें बहुत पुरानी सभ्यताओं में गहराई से फैली हुई हैं। माना जाता है कि बैडमिंटन (Badminton) जैसा खेल लगभग दो हज़ार साल पहले ग्रीस, चीन और भारत में किसी न किसी रूप में खेला जाता था। उस समय इसे 'बैटलडोर एंड शटलकॉक' कहा जाता था। इसमें दो लोग लकड़ी के रैकेट से एक हल्के शटलकॉक को जमीन पर गिरने से बचाने का प्रयास करते थे। 

इसमें तब कोई स्कोरिंग या प्रतियोगिता नहीं होती थी। यह बस मनोरंजन का एक तरीका था। यह खेल बाद में कोरिया, जापान और दक्षिण एशिया में लोकप्रिय हुआ।

समय के साथ यह खेल यूरोप तक पहुंचा और 17वीं-18वीं सदी में फ्रांस और इंग्लैंड जैसे देशों में अभिजात्य वर्ग के बीच लोकप्रिय हो गया। लेकिन इसकी असली कहानी भारत से जुड़ती है, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर भारत आए। 

Badminton जब पूना में खेला गया

महाराष्ट्र का पुणे तब पूना था। गर्मियों की दोपहरें लंबी होती थीं और ब्रिटिश अफसरों के पास वक्त बहुत होता था। पूना उस समय एक प्रमुख सैनिक छावनी थी।

ऐसे में समय काटने के लिए अंग्रेज अफसर 'बैटलडोर एंड शटलकॉक' का स्थानीय संस्करण खेलने लगे। यही खेल धीरे-धीरे 'Poona' नाम से जाना जाने लगा। रैकेट से शटलकॉक को नेट के ऊपर से मारना, और एक विशेष नियमों के तहत खेलना, यही 'Poona Game' था, जो ब्रिटिश अफसरों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया।

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क्या था पूना गेम?

'Poona' में खिलाड़ी लकड़ी के रैकेट से एक शटलकॉक (Shuttlecock) को मारते थे। शटलकॉक तब प्लास्टिक का नहीं बल्कि पंखों से बना होता था, और उसका वजन हल्का रखा जाता था ताकि हवा में ज्यादा देर तक टिक सके।

इस खेल को कभी-कभी दरी पर भी खेला जाता था, और कभी लॉन पर भी। यह एक ऐसा खेल था जिसमें शारीरिक मेहनत कम थी और शाही तौर-तरीकों से मेल खाता था।

यूं इंग्लैंड पहुंचा Badminton

यह खेल इतना प्रिय बन गया कि कुछ अंग्रेज अफसर इसे छुट्टियों में इंग्लैंड वापस ले गए। 1873 में इंग्लैंड में 'Duke of Beaufort' के बंगले में इस खेल को पहली बार औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया। यह बंगला Badminton House कहा जाता था। यहीं से इस खेल का नाम पड़ा, बैडमिंटन (Badminton)। 

यानी यह एक खेल का नाम नहीं बल्कि एक बंगले का नाम है, जो बाद में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित खेलों में से एक की पहचान बन गया।

इस तरह बने Badminton के नियम

इसके बाद 1877 में इंग्लैंड में 'बाथ बैडमिंटन क्लब' बना, जिसने इस खेल के औपचारिक नियम तय किए। 1893 में 'बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंग्लैंड' की स्थापना हुई और 1899 में 'ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप' आयोजित की गई। 

1934 में इंटरनेशनल बैडमिंटन फेडरेशन (IBF) बना, जो आज BWF यानी Badminton World Federation के नाम से जाना जाता है। 1992 में यह खेल ओलंपिक का हिस्सा बना, जिससे इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा और बढ़ गई।

अब बात भारत की, जहां से इस खेल ने एक नई पहचान पाई थी। जिस 'Poona' नाम से इस खेल ने जन्म लिया, वही भारत आज बैडमिंटन (Badminton) की दुनिया में सुपरपावर बन चुका है। प्रकाश पादुकोण से लेकर पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, किदांबी श्रीकांत, लक्ष्य सेन, और सात्विक-चिराग की जोड़ी तक - भारत के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन किया है।

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